उत्तराखंड:- कभी अल्मोड़ा, कभी बागेश्वर तो कभी पिथौरागढ़। जंगल की आग थमने का नाम नहीं ले रही। जंगल की आग से पशु-पक्षियों को बचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें वन्यजीवों को सुरक्षा देने की मांग की गई।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता रितुपर्ण उनियाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें वनों में लगने वाली आग पर चिंता जताई गई। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश याचिका में जंगल में रहने वाले सभी पशु-पक्षियों को कानूनी दर्जा प्रदान करने की मांग की जिससे उनकी सुरक्षा और सुविधा के लिए सरकार वचनबद्ध हो सके।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखा। उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक वन विभाग का फायर सीजन होता है।
विभाग इसकी तैयारियों में जनवरी से ही जुट जाता है, लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड में ही जंगल आग की भेंट चढ़ने लगे। अक्टूबर और नवंबर से अब तक पहाड़ के जंगल धधक रहे हैं।
अफसरों की मानें तो तीन महीने में 222 बार आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे 311.57 हेक्टेयर में फैला जंगल जल गया। आग लगने से 5600 पेड़ राख हो गए। जंगलों में आग लगने से करीब 1 करोड़ रुपये के आस-पास नुकसान हुआ है।
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