दून ऑनलाइन:
आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ देहरादून में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) उत्तराखंड के डॉक्टर्स ने खुले तौर पर अपना विरोध प्रकट किया है। आक्रोशित प्राइवेट डॉक्टर्स ने फैसला लिया है कि वे 11 दिसंबर को ओपीडी सेवाएं बंद कर विरोध दर्ज कराएंगे।
आईएमए के डॉक्टर्स का कहना है कि आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने से गंभीर मरीजों को जान का खतरा हो सकता है। आयुर्वेद व एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के मिश्रण से मरीजों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, जिससे उनकी जान भी जा सकती है।
आईएमए के नेशनल वाइस प्रेसीडेंट, डॉ. डीडी चौधरी कहते हैं कि एसोसिएशन दो चिकित्सा पद्धतियों के मिश्रण के सख्त खिलाफ है क्योंकि इससे मरीजों को जान खतरा बना रहेगा।
केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर के करीब दो हजार डॉक्टर्स 11 दिसंबर को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक ओपीडी बंद रखेंगे। डॉ. चौधरी के अनुसार, आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज करने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स को दूसरी चिकित्सा पद्धति में इलाज करने की अनुमति नहीं है।
उसी तरह से आयुर्वेद डॉक्टर्स को भी आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इलाज करने की अनुमति नहीं दी चाहिए क्योंकि दो चिकित्सा पद्धतियों के मिश्रण से मरीजों की जान पर बन सकती है।
डॉ. चौधरी ने बताया कि एसोसिएशन से जुड़े सभी डॉक्टर्स मंगलवार को कोविड-19 के गाइडलाइन्स का पालन करते हुए विरोध करेंगे। मांग की है कि केंद्र सरकार को आयुर्वेद चिकित्सक को सर्जरी करने के अध्यादेश को रद कर देना चाहिए।
आईएमए से जुड़े प्राइवेट डॉक्टर्स मंगलवार सुबह आठ बजे चकराता रोड स्थित आईएमए भवन के सामने एकत्र होकर प्रदर्शन करेंगे और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग करेंगे।
आईएमए की जिला सचिव डॉक्टर रूपा हंस पाल ने बताया कि देश भर में इस फैसले का विरोध किया जा रहा है क्योंकि इससे मरीजों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
इसीलिए इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर को ओपीडी में निजी डॉक्टर मरीज नहीं देखेंगे केवल कोरोना के मरीज और इमरजेंसी केस देखे जाएं