Doononline: हरिद्वार में 11 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्यारोपी राजीव आखिर पुलिस के चंगुल में फंस ही गया। राजीव तक पहुंचने के लिए 150 पुलिस कर्मियों ने सात दिनों में 250 लोगों की सीडीआर और 900 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले। दो सौ लोगों से पूछताछ और 350 होटलों और गेस्ट हाउसों की खाक छानी। आखिर में छोटे भाई की गिरफ्तारी के बाद पुलिस आसानी से राजीव तक पहुंच सकी।
बता दें कि 20 दिसंबर की रात बच्ची का शव मिलते ही राजीव कुमार पुलिस को चकमा देकर मौके से फरार हो गया। राजीव अपने परिवार के साथ नया हरिद्वार में रहता था। घर पहुंचते ही परिवार के सभी सदस्यों को साथ लेकर गायब हो गया था।
घटना वाली रात उस की आखरी लोकेशन रुड़की आई थी। इसके बाद उसका फोन ऑन नहीं हुआ, घटना को अंजाम देने के बाद राजीव किसी शातिर पेशेवर अपराधी की तरह फराार हो गया उसने अपने किसी भी परिचित और रिश्तेदारों को फोन नहीं किया। पुलिस ने 250 से अधिक मोबाइल की सीडीआर खंगाली, लेकिन किसी में राजीव की खास जानकारी नहीं मिली।
पुलिस का दबाव और छापामारी के बीच राजीव ने अपना परिवार दिल्ली में सुरक्षित जगह छोड़ा और वहां से सुल्तानपुर यूपी चला गया। पुलिस उत्तराखंड के अलावा यूपी, पंजाब, हरियाणा में संभावित ठिकानों में छापा मारती रही
पुलिस के छापे की भनक लगते ही वह अपने ठिकाने बदलते रहा। बाहरी जिलों की पुलिस की मदद ली गई। रोडवेज और रेलवे स्टेशनों पर उसकी पहचान के लिए फोटो कापी बांटी गई। होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाएं छानी गई। करीब दो सौ रिश्तेदार, नातेदार और परिचितों से पूछताछ की गई।
नेपाल भागने की फिराक में था राजीव:
सूत्रों के मुताबिक राजीव नेपाल भागने की फिराक में था। छोटे भाई को हरिद्वार नकदी का जुगाड़ करने के लिए भेजा था। पुलिस ने भाई गौरव को दबोचा ओर सखती से पूछ ताछ की तो राजीव भी शिंकजे में फंस गया।

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