सेरोगेसी बच्चे पैदा करने की एक ऐसी तकनीक है. इस तकनीक में माता या पिता किसी की भी शारीरिक कमजोरी की वजह से यदि वे बच्चा पैदा करने में अक्षम हैं तो वे इसका सहारा ले सकते हैं. सेरोगेसी में किसी महिला की कोख को किराये पर लिया जाता है. कोख किराए पर लेने के बाद आईवीएफ के जरिए शुक्राणु को कोख में प्रतिरोपित किया जाता है. जो महिला किसी दंपत्ति के बच्चे को अपनी कोख में पालती है उसे सेरोगेट मदर कहा जाता है. किराए पर कोख लेने वाली महिला और दंपत्ति के बीच एक खास एंग्रीमेंट किया जाता है. सरोगेट मदर को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं.
इन स्थितियों में ले सकते हैं सेरोगेसी का सहारा
– कई बार कोशिश करने और दवाओं का इस्तेमाल करने के बाद भी गर्भपात हो रहा हो तो सेरोगेसी का सहारा लिया जा सकता है.
– भ्रूण आरोपण उपचार की विफलता के बाद सेरोगेसी के जरिए मां बना जा सकता है.
– गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर सेरोगेसी का ऑप्शन लिया जा सकता है.
– जिन महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं और वो गर्भ धारण नहीं कर पा रही हों. वो सेरोगेसी का सहारा ले सकती हैं.
सेरोगेसी दो प्रकार की होती है. ट्रेडिशनल और जेस्टेशनल
ट्रेडिशनल सरोगेसी: सरोगेसी की इस विधि में किराए पर ली गई कोख में पिता का स्पर्म महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में जैनिटक संबंध सिर्फ पिता से होता है.
जेस्टेशनल सरोगेसी: इस विधि में माता-पिता के स्पर्म और एग्स को टेस्ट ट्यूब के जरिए सेरोगेट मदर के गर्भाश्य में प्रत्यारोपित किया जाता है.
सरोगेसी के लिए भारतीय कानून
भारत में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक है
भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया है. अब भारत में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग गयी है. अब कोई भी विदेशी, नॉन रेजिडेंट इंडियन, पर्सन्स ऑफ इंडियन ओरिजिन, ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया कोई भी भारत में सरोगेसी के लिए अधिकृत नहीं हैं.
भारत में सरोगेसी मदरहुड काफी तेजी से फैला है. बड़े शहरों से लेकर बॉलीवुड तक में सरोगेसी मदरहुड का ट्रेंड सा चल निकला था. बहुत जगह तो ये एक कमर्शियल बिजनेस बन गया था, जहां पर विदेशी और एनआरआई दंपत्ति सरोगेट मदर का सहारा लेने भारत आने लगे थे.
वैसे ये विधेयक भारत में 21 नवम्बर 2016 में लोक सभा में रखा गया लेकिन इसको स्टैंडिंग समिति को 12 जनवरी 2017 को भेजा गया. समिति ने अपनी रिपोर्ट 10 अगस्त 2017 को प्रस्तुत की और फिर 19 दिसम्बर 2018 को ये बिल पास हो गया.
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016 के मुख्य बिंदु
सबसे महत्वपूर्व ये है कि अब कोख बेची नहीं जा सकेगी. कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से रोक लग गई है. यानि इसमें पैसों का किसी तरह का लेनदेन नहीं हो सकेगा. इसके अलावा सरोगेट मदर करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए और वह भी सिर्फ एक ही बार सरोगेट मदर बन सकती हैं.
शादीशुदा दंपत्ति को ही सरोगेसी की सुविधा मिलेगी और उनकी शादी के कम से कम पांच साल पूरे हो जाने चाहिए. सिंगल, अविवाहित जोड़े, होमोसेक्सुअल, लिव इन में रहने वाले को सरोगेसी की इजाजत नहीं है, सरोगेट की उम्र 25-35 साल होनी चाहिए और उसके खुद का भी कम से कम एक बच्चा होना चाहिए.