पेरिस (रायटर):- ईरान की Uranium संवर्द्धन बढ़ाने की घोषणा पर फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने कड़ी आपत्ति जताई है। कहा है कि अगर ईरान कूटनीति का रास्ता बनाए रखने के लिए गंभीर है तो वह नया कदम न उठाए।
ये तीनों देश रूस, चीन और अमेरिका के साथ 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में शामिल हैं। अमेरिका 2018 में समझौते से हट गया है लेकिन निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने समझौते में फिर से शामिल होने के संकेत दिए हैं।
आइएईए की गोपनीय रिपोर्ट: यूरेनियम संवर्द्धन बढ़ाने का कदम न उठाए ईरान:-
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) की गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार ईरान अपने नातांज के भूमिगत परमाणु संयंत्र में यूरेनियम संवर्द्धन के लिए IR-2M सेंट्रीफ्यूज लगा रहा है।
इन सेंट्रीफ्यूज से परमाणु बम बनाने वाला यूरेनियम तैयार किया जा सकेगा। परमाणु समझौते के अनुसार ईरान को उच्च स्तर का यूरेनियम संवर्द्धन नहीं करना है। वह IR-1 एम सेंट्रीफ्यूज के जरिये केवल परमाणु बिजलीघर में इस्तेमाल होने वाला यूरेनियम ही संविर्द्धत कर सकता है।
लेकिन अमेरिका से तनातनी के बीच ईरान ने पहले इस बाबत घोषणा की और अब वह उच्च क्षमता वाले Centrifuges स्थापित कर परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उसने आइएईए को पत्र लिखकर अपनी संवर्द्धन योजना के बारे में बता दिया है।तीनों European देशों ने कहा है कि समझौते के अनुसार ईरान सरकार आइएईए के दल को अपने परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण नहीं करने दे रही है।
वह समझौते से बाहर जाकर यूरेनियम संवर्द्धन की सीमा बढ़ाने वाले कदम भी उठा रही है। ऐसा कर वह अपने लिए रास्ता मुश्किल कर रही है। जबकि परमाणु समझौता ईरान के लिए ही फायदेमंद है।
तीनों देशों ने बाइडन की परमाणु समझौते में लौटने की मंशा का उल्लेख भी किया। कहा, जल्द ही सभी चीजें पूर्ववत होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि रूस और चीन के साथ तीनों यूरोपीय देश अभी तक परमाणु समझौते में बने हुए हैं। जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीनों यूरोपीय देशों पर समझौते से अलग हटने के लिए दबाव डाला था।